SACH OR JHOOTH

ये सच और झूठ क्या है?




ये सच और झूठ क्या है,
शब्द हैं,
जज़्बात,
या फिर एक सच्चाई,
जो सब छिपाए बैठे हैं।
ये सच और झूठ का फैसला कैसे करें,
कैसे कहें,
ये सच है तो इसलिए हैं,
और ये झूठ हैं तो ऐसे हैं।
ये सच भी तो किसी के लिए झूठ होगा,
और ये झूठ भी तो गलत होगा।
क्या हमेशा सच बोलना सही होता हैं,
या फिर हर झूठ एक छल का वारिस होता हैं।
क्या सच छुपाना झूठ बोलने के बराबर होता हैं,
ये किसी के भले के लिए झूठ बोलना क्या सही होता हैं?
ये मुकद्दमें वाले भी तो आँखो में पट्टी लगाय बैठे हैं,
ये भी तो कभी सच को झूठ मानकर,
एक बेगुनाह को सज़ा-ए-मौत देते हैं।
तो इनका सच भी तो गलत निकला,
फिर इनकी सज़ा हैं कौन सुनाता?
हम भी तो सच को झूठ और झूठ को सच बनाए बैठे हैं,
इस सच और झूठ के खेल में,
खुद से ही बेगाने बैठें हैं।
माँ भी तो हमारे लिए कितनों से सच छुपाती हैं,
तो क्या इसी की सज़ा,
माँ को बूढ़ापे में मिलतीं हैं?
 ये रिश्ते भी क्या हमेशा सच बोलने सें हैं चलतें,
क्या सिर्फ सच छुपाने पर भी होते हैं,
गिले-शिक्वे?
बोलतें हैं सच कड़वा होता हैं,
लेकिन क्या हर झूठ का फल मीठा ही होता है?
क्या हैं ये सच और झूठ,
कैसे करें ये फ़ैसला?
क्यूँ हैं ये दीवार दोनों के बीच?
क्या सच और झूठ दीवार के एक ही तरफ़ नहीं हो सकतें?
क्या इस सिक्के के सिर्फ़,
एक ही पहलू नहीं हो सकतें?
सच और झूठ,
शब्द हैं,
जज़्बात,
या फिर एक सच्चाई,
कैसें करें फ़ैसला?










  
       





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