Kaafi hai❤️






चलो चलती हूँ!
वक्त हो गया है।

मत जा ना, यहाँ सब तो है!

मै थोडी ना कुछ छोर कर जा रहीं हूँ,
इस बैग में,
सबकी याँदे , बहुत सारे किस्से,
और तुम्हारे साथ बिताये गय कुछ पल
सब भर ली हैं ।
हाँ,
थोडा भारी हो गया है
लेकिन यें पीछे भी तो नहीं छोड सकती ना!

ये याँदे काफी होंगी क्याँ?
हम्म!!!
काफी तो पूरी जिंदगी भी नहीं होगी तुम्हारें साथ!

तो रुक जा ना!

रुकने से सब कुछ सही हो सकता है क्या?
क्या हम हमारे प्यार को हमारे वक्त से बचा सकते हैं क्या?

फिलाल के लिए ये याँदे , ये बाते काफी होंगी
मुझे तब संभालने के लिए जब मैं हारने लगूँगी।

हमारी तस्वीरों को देखकर मुझे ये तसल्ली तो रहेगी,
की भले वक्त की कमी थी, लेकिन उस वक्त में हम सबसे करीब थे।
इतने सारे झूठ के बीच
चलो कमसे कम
एक पल तो सच्चा था।

चलो अच्छा अब वक्त हो गया हैं।

अच्छा सुनो,

जाने से पहले एक बार अच्छे से मिल तो लो,
एक आखरी बार गले तो लग लो,
ये अपनापन, ये गरमाहट, ये पल
ये कुछ आखरी चीजें हैं,
जो भरना बाकी हैं,
वो क्या है न
अभी बैग में थोडी और जगह बाकी हैं।

❤️🤞

Comments

Popular posts from this blog

हम बड़े हो रहें है.

A letter to the rain

RIng